सुखसमृद्धि प्रतीक मांडनाकला

 

सुखसमृद्धि प्रतीक मांडनाकला 

दीपावली के अवसर पर बनाई जाने वाली पारंपरिक मांडना कला जो लुप्तप्राय हो गई है परंपरागत घरों में आज भी यह कला जीवित है हड मच्छी (गेरू) आरास (चुना) से आंगन के चौक में तथा घर के प्रमुख दरवाजे पर तथा पूजा स्थल पर परिवार की बहू बेटियों द्वारा बनाई जाती है यह मांडना (रंगोली) वर्ष पर्यंत रहती है यह सुख समृद्धि की प्रतीक मानी जाती रही है पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र भारत सरकार द्वारा भी समय-समय पर शिल्पग्राम हवाला उदयपुर वेस्टर्न कल्चर सेंटर बागोर की हवेली उदयपुर राजस्थान भारत सरकार द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है मेरे परिवार में भी यह परंपरा अभी तक जीवित हैं पुत्री निहारिका सांखला द्वारा बनाई गई यह मांडना





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