जय मां भवानी
राजपूत अपने आप पर गर्व यूं ही नहीं करता राजपूतों का इतिहास हमेशा से ही गौरवान्वित रहा है देश को सेना के लिए प्राण निछावर करना के लिए सदैव तत्पर रहा है मेरे मेरे दादा सा हुकुम श्री राम सिंह जी साँखला मेरे पिताजी श्री हरि सिंह जी साँखला दोनों ही 16 राजपूताना राइफल में सेना में अपनी अपनी सेवाएं दे चुके हैं पिताजी ने देश के लिए 3 युद्धों 1961, 1965, 1971 में काशमीर के लेह लद्दाख मे भारतीय सेना की राजपूत बटालियन 16 राजपूताना राइफल का कमान ( नेत्रत्व ) किया I दादा परदादा की इकलौती संतान थे इकलौती संतान होने के बावजूद सेना में थे पिताजी दादाजी की इकलौती संतान थे कोई काका बाबा भाई बहन नहीं था दादी सा हुकम को हम लोग बा कहते थे गजब के साहसी थे दादा जी का स्वर्गवास पिताजी के बचपन में ही 8 वर्ष की उम्र में हो गया था उसके बावजूद भी दादी सा हुकुम ने पिताजी को खुशी-खुशी सेना में भर्ती करवाया यह बात उस समय की कर रहा हूं जब सेना से चिट्ठी आते हुए एक महीना लगता था युद्ध के समय मोहल्ले वाले मेरी हवेली पर रेडियो लगाकर समाचार सुनते थे मेरी माता जी ने व मेरी दादीसा ने युद्ध के दिनों में अपने पुत्र की रक्षा के लिए वह माताजी ने सुहाग की रक्षा के लिए अन्न ग्रहण नहीं करने का व्रत लिया था अन्याय के खिलाफ हमेशा अपने आप को खतरे में डालकर दूसरे सर्व समाज की रक्षा की है यह भावना राजपूत के खून में विद्यमान रहती हैं यह बात सरकार बहुत अच्छी तरह से जानती हैं आज सेना में शहीद होने वाले राजपूत सैनिकों की संख्या सर्वाधिक है राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगी भर्ती की अधिसूचना राजपूत के गौरव की स्वयं गाथा बता रही है मैं स्वयं भी सेना की सेना के जवानों के केस निशुल्क लड़ता हूं मार्शल कोर्ट में भी तथा रिट याचिका लगाकर सेना के रिटायर्ड जवानों को राहत प्रदान की है
ठाकुर भगवत सिंह साँखला (अधिवक्ता)
9, नाथी मार्ग ब्रह्मपोले उदयपुर
मोबाइल नंबर 935 252 20 26
Book Matrimonial Ads - 13 to find a better soulmate!
ReplyDeleteanotepad
imdb
veterinary
os.mbed
hypixel
clever
molbiol
delphi
store